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छत्तीसगढ़: रायपुर ICD से निर्यात महंगा, व्यापारियों की गुहार—सरकार तत्काल कदम उठाए I

रायपुर (छत्तीसगढ़) स्थित इनलैंड कंटेनर डिपो (ICD) के अपर्याप्त उपयोग को लेकर छत्तीसगढ़ के निर्यातकों ने सरकार से त्वरित हस्तक्षेप की मांग की है। उनका कहना है कि उच्च लागत के कारण व्यापारी और निर्यातक मजबूरी में सीधे ट्रकों के माध्यम से विशाखापट्टनम पोर्ट तक माल भेजने को प्राथमिकता दे रहे हैं।

हाल ही में हुई लागत तुलना में सामने आया है कि रायपुर ICD से निर्यात करने पर प्रति कंटेनर औसतन ₹83,065 का खर्च आता है, जबकि वही कंटेनर सीधे सड़क मार्ग से विशाखापट्टनम भेजने पर केवल ₹60,300 में पहुँच जाता है। यानी प्रति कंटेनर ₹22,765 का अंतर।

निर्यातकों का मानना है कि यदि रायपुर ICD से विशाखापट्टनम पोर्ट तक डायरेक्ट पोर्ट एंट्री (DPE) की सुविधा दी जाए तो यह लागत अंतर कम हो सकता है। उनका अनुमान है कि CCJS (छत्तीसगढ़ कंटेनर एंड जंक्शन साइडिंग) पर टर्मिनल हैंडलिंग और आंतरिक पोर्ट परिवहन शुल्क हटाने से करीब ₹7,445 प्रति कंटेनर की बचत संभव है। भले ही DPE सिस्टम में रेल भाड़ा ₹3,000 तक बढ़ जाए, फिर भी निर्यातकों को प्रति कंटेनर ₹4,445 का शुद्ध लाभ मिलेगा।

निर्यातकों ने तीन बड़ी चुनौतियों को रेखांकित किया है:

  1. रायपुर ICD से विशाखापट्टनम पोर्ट तक नियमित रेक मूवमेंट की कमी।
  2. कृषि निर्यात के लिए रियायती या प्रतिस्पर्धी रेल भाड़े का अभाव।
  3. ICD कार्गो के लिए पोर्ट पर DPE सुविधा का न होना।

वे मांग कर रहे हैं कि नियमित रेल सेवाएं शुरू की जाएं, कृषि उत्पादों के लिए विशेष रियायती भाड़ा उपलब्ध कराया जाए और संबंधित विभाग मिलकर DPE सुविधा स्थापित करें।

उद्योग प्रतिनिधियों ने चेतावनी दी है कि यदि तात्कालिक कदम नहीं उठाए गए तो रायपुर ICD अपनी पूरी क्षमता से काम नहीं कर पाएगा और क्षेत्र की कृषि-आधारित अर्थव्यवस्था एक महत्वपूर्ण निर्यात द्वार से वंचित रह जाएगी। उनका कहना है कि बेहतर कनेक्टिविटी न केवल निर्यात प्रतिस्पर्धा को बढ़ाएगी बल्कि सीधे किसानों और व्यापारियों को लाभ पहुँचाएगी, जिससे छत्तीसगढ़ की आर्थिक वृद्धि को नया बल मिलेगा।

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