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एमएसपी पर धांधली का पर्दाफाश: दूसरे राज्यों से सस्ती धान खरीदकर पंजाब में महंगे दामों पर बेचने का खुलासा

पंजाब के धान खरीद सीजन में बड़ा घोटाला उजागर हुआ है। एक दलाल नेटवर्क, जो पड़ोसी राज्यों से सस्ती धान खरीदकर उसे पंजाब में न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर बेचने का काम कर रहा था, का पर्दाफाश हुआ है। यह मामला तब सामने आया जब एच.एस. एग्रो एंड कंपनी के कमीशन एजेंट सुभाष चंदर के खिलाफ सरकारी खरीद नियमों का उल्लंघन करते हुए अपने निजी यार्ड में धान भंडारण का मामला दर्ज किया गया।

बाज़ार समिति के सचिव मंदीप कमरा ने सदर पुलिस थाने में दर्ज शिकायत में बताया कि इस फर्म ने 15 अक्टूबर को 3,800 बोरे (लगभग 1,330 क्विंटल) धान पंग्रेन एजेंसी को बेचे थे। पंग्रेन के कर्मचारियों द्वारा की गई जांच में यह पाया गया कि बोरे एच.एस. एग्रो एंड कंपनी के थे, जो कि पास के पेंचांवाली गांव में स्थित है। जांच में संदेह जताया गया कि कंपनी ने यह धान पड़ोसी राज्यों से खरीदकर पंजाब में सरकारी खरीद के तहत बेचने की कोशिश की।

मामले का खुलासा तब हुआ जब भारतीय किसान यूनियन (राजेवाल) के अध्यक्ष सुखमंदर सिंह के नेतृत्व में किसानों का एक समूह 19-20 अक्टूबर की रात को कंपनी के यार्ड पर पहुंचा। वहां उन्हें धान के बड़े-बड़े ढेर मिले। किसानों ने ज़िला खाद्य एवं आपूर्ति नियंत्रक और अन्य अधिकारियों से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। अंततः उन्होंने कृषि मंत्री गुरमीत सिंह खूड़ियां को फोन कर पूरा मामला बताया। मंत्री ने तुरंत कार्रवाई करते हुए जांच के आदेश दिए।

उधर, खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग ने प्रशासनिक आधार पर निरीक्षक अरुण बब्बर को फाज़िल्का से चंडीगढ़ ट्रांसफर कर दिया है। बताया जा रहा है कि बब्बर का तबादला निजी यार्ड में अवैध धान भंडारण के मामले के चलते किया गया है।

कमीशन एजेंट सुभाष चंदर के खिलाफ धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश और विश्वासघात के आरोप में भारतीय न्याय संहिता (BNS) के तहत मामला दर्ज किया गया है।

इस बीच, ज़िला खाद्य एवं आपूर्ति नियंत्रक वंदना कंबोज से संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन उन्होंने कॉल रिसीव नहीं की।


यह मामला एक बार फिर यह सवाल खड़ा करता है कि पंजाब में सरकारी खरीद प्रणाली कितनी पारदर्शी और सख्त है। सीमावर्ती राज्यों से धान की अवैध आमद रोकने के लिए प्रशासन को सख्त निगरानी और तकनीकी ट्रैकिंग व्यवस्था की आवश्यकता है, ताकि किसानों के हितों की रक्षा हो सके और सरकारी खरीद में किसी तरह की धांधली की गुंजाइश न बचे।

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