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1,000 से अधिक मिलर्स की एकजुट आवाज: ओडिशा में धान खरीद नीति पर तीखी नाराज़गी, आंदोलन की चेतावनी

राज्यभर से आए 30 ज़िलों के 1,031 चावल मिलर्स ने रविवार शाम बड़गड़ में एक विशाल सम्मेलन—‘बड़गड़ महासमाबेश’—में हिस्सा लिया। यह बैठक ऑल ओडिशा राइस मिलर्स एसोसिएशन द्वारा आयोजित की गई, जिसमें उद्योग से जुड़े कई अहम मुद्दों पर चर्चा हुई।

मिलर्स ने आरोप लगाया कि खरीफ मार्केटिंग सीज़न (KMS) 2024-25 के लिए राज्य सरकार द्वारा किए गए मुख्य वादे आज तक पूरे नहीं हुए हैं। उनका कहना है कि नवंबर 2024 में मिलिंग रेट बढ़ाने का आश्वासन दिया गया था, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई न होने से उद्योग में असंतोष फैल गया है। मिलर्स का दावा है कि बढ़ती मांग के बीच उन्होंने धान खरीद कार्यों में सरकार की पूरी मदद की थी।

बैठक में बताया गया कि इस सीज़न में 96 लाख क्विंटल धान की खरीद हुई है, जो पिछले साल की तुलना में 25 प्रतिशत अधिक है। इसके बावजूद, करीब 30 प्रतिशत धान अब भी मिलों में पड़ा है। मिलर्स ने आरोप लगाया कि कस्टम मिल्ड राइस (CMR) प्राप्ति पर सरकार की नीति बिल्कुल स्पष्ट नहीं है, इसलिए अब वे सिर्फ 100 प्रतिशत सुरक्षा के बाद ही धान उठाएंगे।

मिलर्स ने आगे मार्केट मार्जिन डेवलपमेंट फंड (MMDF) के तहत बकाया भुगतान, वर्षों से परिवहन दरों में बदलाव न होने, और वित्तीय दबाव की समस्याओं को भी उठाया। उन्होंने स्पष्ट किया कि अब वे केवल मिलिंग कार्य ही करेंगे, और परिवहन व हैंडलिंग जैसे अतिरिक्त कार्यों से दूरी बनाएंगे।

इसके अलावा, ड्रायेज अलाउंस को 1 प्रतिशत से घटाकर 0.074 प्रतिशत किए जाने को “अन्यायपूर्ण” बताते हुए मिलर्स ने चेतावनी दी कि यदि पुराने दर बहाल नहीं हुए तो वे आगामी KMS 2025-26 में धान खरीद कार्य से पीछे हट सकते हैं।

एक और बड़ा मुद्दा KMS 2023-24 से now तक गोदाम संरक्षण व देखभाल का भुगतान न होना रहा। मिलर्स का कहना है कि सरकार और OSCSC के कई आश्वासनों के बावजूद भुगतान जारी नहीं किए गए हैं। अब उन्होंने निर्णय लिया है कि अगले मार्केटिंग सीज़न में वे सरकारी धान भंडारण के लिए अपने गोदाम उपलब्ध नहीं कराएंगे।

एसोसिएशन ने सरकार को चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगों पर तुरंत कार्रवाई नहीं की गई, तो वे राज्यभर में धान खरीद और चावल आपूर्ति बाधित कर सकते हैं।

अब देखना यह होगा कि सरकार जल्द समाधान प्रस्तुत करती है या ओडिशा के धान बाजार में आने वाले महीनों में बड़ी चुनौती खड़ी होती है।

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